Sunday, August 4, 2019

भारतीय सभ्यता किसी भी संस्कृति को अपने भीतर समेट लेने की क्षमता रखती है । यूनानी आए, हुड आए, कुषाण भी आए लेकिन यहां आकर वे सब भारतीय हो गए । लेकिन ८ वी सदी भारतीय इतिहास का एक धब्बा है । बड़े अफसोस की बात है कि उस वक्त जो मुस्लिम भारत आए वो भारतीय न हो सके और इसके पीछे दोष कहीं न कहीं हमारा ही है
उस वक्त हमने अपनी सुसंस्कार और शालीनता से परिपूर्ण संस्कृति के मद में आकर मुसलमानों को हीन दृष्टि से देखा और उनके साथ एकाकार नहीं हो सके । परिणाम मुस्लिम समाज की छवि भारतीय समाज से अलग ही बनी है । जो आज भी कायम है ।
हमे यह ध्यान रखना चाहिए की कोई भी सभ्यता तभी तक जीवित रह सकती है जब तक कि वह दूसरी संस्कृतियों को अपने भीतर समेट लेने की अपने में आत्मसात कर लेने की ताकत रखती हो और सनातन से भारतीय संस्कृति के जीवित और फलते- फूलते रहने का यही कारण है।
मै यह लेख इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि मैं देख रहा हूं कि हिन्दू मुसलमान दो अलग अलग शब्द यदि एकाकार होकर भारतीय न हो तो यह भारतीयता की एक अपूरणीय हानि होगी । एक समाज दो भागो में निश्चित रूप से विभक्त हो जाएगा  । और संसार से दो संस्कृतियों के अस्त्तिव पर प्रश्न चिह्न लग जाएगा ।
इसीलिए हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम अपने आस पास के सभी समुदायों के साथ एकाकार हो । उन्हें अपने में विलीन करने और एक भारतीय होने का गौरव प्रद्दान करे । भारत का मतलब हिन्दू लोगो का स्थान होना नहीं है । हिन्दुस्तान नाम एक चाल की भाती है जो हमसे यह कहता है कि तुम हिन्दू हो , दूसरा  दूसरे समुदाय का है । हिन्दुस्तान नाम हमें भारतीय होने से दूर करता है और जातिवाद में फसाता है ।
भारत की सीमाओं की भीतर रहने वाला हर व्यक्ति आर्य है, वह भारतीय है । हिन्दू या मुसलमान नहीं । विदेशियों की इन चालो को समझे और तत्परता से भारतीय संस्कृति की रक्षा करे ।

सभी का बहुत बहुत धन्यवाद

भारतीय सभ्यता किसी भी संस्कृति को अपने भीतर समेट लेने की क्षमता रखती है । यूनानी आए, हुड आए, कुषाण भी आए लेकिन यहां आकर वे सब भारतीय हो गए ...